GUSSA CONTROL KAISE KARE? :- इस कहानी को जरा ध्यान से सुनिएगा क्योंकि यह कहानी आपकी जिंदगी बदलने वाली है। रमेश की पत्नी जिसका नाम नेहा थी। नेहा को बहुत गुस्सा आता था और वह गुस्से में किसी को कुछ भी बोल देती थी। लेकिन ज्यादा गुस्सा और फालतू बोलने की वजह से कभी कभी उसके घरवालों को काफी दुख होता था कि उसे इतनी भी समझ नहीं है कि गुस्से में क्या बोलना चाहिए और क्या नहीं बोलना चाहिए। लेकिन गुस्सा करने के बाद जब नेहा का गुस्सा शांत होता तब वह आकर माफी भी मांग लेती थी, कि मेरे से बहुत बड़ी गलती हो गई। मुझे क्षमा करें, आगे से मैं ऐसा बिल्कुल नहीं करूंगी। लेकिन इतना करने के बाद भी उसका गुस्सा कभी खत्म नहीं होता था और वह हर छोटी छोटी बात पर गुस्सा और हर छोटी छोटी बात पर चीजों को काफी गुस्से के बोल ना उसकी आदत बन गई थी। नेहा के गुस्से से उसके घरवाले बहुत परेशान थे और न चाहते हुए भी इसका इलाज उनको नहीं मिल रहा था। एक समय के बाद गांव के एक व्यक्ति ने उन्हें बताया कि नगर में एक महात्मा आए हुए हैं। सुना है उनके पास हर समस्या का समाधान है। आप सब क्यों न अपनी बहू को लेकर उन महात्मा के पास जाइए, क्योंकि वह सुना है कि वह हर समस्या का समाधान बड़ी ही आसानी से और सरलता से बता देते हैं। अगर आप सब वहां पर जाएं तो निश्चय ही आपकी समस्या का समाधान मिलेगा। इतना सुनते ही उसके घर वाले नेहा को लेकर उस महात्मा के पास चले गए। चलते चलते वह थक गए और शाम में हो गई क्योंकि उनका आश्रम बहुत दूर था। देर शाम होते होते वह महात्मा के आश्रम में आखिरकार पहुँच ही गए। महात्मा के आश्रम में जाकर देखा तो वह सभा कर रहे थे और लोगों को प्रवचन दे रहे थे। सभा खत्म होने के बाद उन्होंने महात्मा से पूछा कि महात्मा यह मेरी बहू नेहा हैं, इसे बहुत गुस्सा आता है। कृपा करके इसका कोई समाधान बताएं क्योंकि इसे बहुत गुस्सा आता है और फिर जब गुस्सा आता है तब यह किसी को नहीं देखती। सच झूठ, सही गलत की इसे कोई समझ नहीं रहता। बस मन में जो आता है यह बोल देती है और बाद में माफी भी मांगती है, लेकिन अपनी आदत कभी नहीं सुधारती। आप ही बताइए कि भगवन, हम कैसे क्रोध को नियंत्रित करें? कृपया हमें इसका उपाय बताएं। महात्मा मुस्कुराए और बोले, एक कहावत है। क्रोध से पहले सोचो, उसे दुबारा उगलने से रोको। उन्होंने बोला इसका क्या मतलब है? आप ज़रा खुल के ही बताइए, हमें यह बात समझ में नहीं आ रही। महात्मा फिर मुस्कुराए और बोले, मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं। यह कहानी निश्चय ही तुम्हारे सवालों के सारे जवाब दे देगी। एक समय की बात है। एक छोटे से गांव में एक बुढ़िया रहती थीं। उनका नाम रमा था। रमा बहुत ही प्यारी और दयालु महिला थीं। लेकिन एक समस्या उनके गुस्से की थी। वे छोटी छोटी बातों पर बहुत जल्दी गुस्सा हो जाया करती थीं। जब उसे गुस्सा आता तो कभी नहीं देखती। उसके सामने कौन है और कौन नहीं। वह सबको गुस्से में अपने से छोटा ही समझती थी। बुढ़िया जितनी गुस्सैल थी, उतनी ही लालची थी। उसके मन में धन और पैसों को लेकर अपार लालच था। एक समय बुढ़िया के पास खाने को कुछ नहीं बचा और वह पैसे भी नहीं कमान नहीं चाहती थी तो उसके मन में तरकीब सूझी। उसे याद आया गांव में मेला लगा है। क्यों ना इस मेले से कुछ लाभ लिया जाए। रमा ने सोचा कि यह एक अच्छा मौका है कि उनके गुस्से को कुछ सीख मिले। उन्होंने गांव के लड़कों को बुलाया और कहा, मेरे पास एक चुटकुला है। अगर तुम मुझे हंसा दोगे तो मैं तुम्हें एक सिक्का दूंगी। लेकिन अगर तुम मुझे हंसाना पाओगे तो तुम्हें मुझसे दो सिक्के देने होंगे। अब बुढ़िया अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी कि इन बच्चों को बेवकूफ बनाकर अब मैं पैसे भी कमा लूंगी और मेरा काम भी चल जाएगा। इन्हें भला क्या पता लगता है। बच्चे तो वैसे ही चुटकुला से हंसते हैं।
लड़के राजी हो गए। बुढ़िया ने चुटकुला सुनाना शुरू किया, परंतु उनकी बुद्धि इतनी तेज थी। वे सब उस बुढ़िया के बारे में अच्छी तरह जानते थे कि वह लोगों को बेवकूफ बनाती है और वह धन की कितनी लालची है। इसलिए सभी लड़के मिलकर पहले से ही प्लान बना लिए थे कि हमें इसके चुटकुले पर हंसना नहीं है और जो मर्जी हो जाए। हमें बेवकूफ नहीं बनना है। बुढ़िया ने उन लड़कों से पूछा, क्या तुम सभी तैयार हो? लड़कों ने जवाब दिया, हां बिल्कुल। हम सब तैयार हैं। आप चुटकुला सुनाओ। फिर बुढ़िया ने एक मजेदार चुटकुला सुनाया, लेकिन किसी भी लड़के ने थोड़ी सी भी हंसी नहीं निकाली। बुढ़िया ठहरी, सहमी, लेकिन उसे दो सिक्के डबल देने थे, इसीलिए उसने दे दिया। उसके मन में उपाय आया। उसने मन ही मन सोचा, अगली बार वह इससे भी बेहतर चुटकुला सुनाएगी और पक्का सबको हंसा कर ही मानेगी। इस बार बुढ़िया ने फिर एक चुटकुला सुनाया, लेकिन इस बार भी कोई लड़का नहीं हंसा। अब बुढ़िया थोड़ा गुस्से में आ गई। वह जितनी बार भी चुटकुले सुनाती गांव में से कोई भी लड़का नहीं हंसता। वे फिर सब बुढ़िया के चुटकुले पर हंसने के बजाय अपनी हंसी को दबा लियाकरते। उसके बाद बुढ़िया ने एक बार फिर कोशिश की और फिर बार बार। लेकिन हर बार उनके पास दो सिक्के देने ही पड़े। अब उसके पास कोई चारा नहीं बचा। अंत में बुढ़िया ने जितने भी सिक्के लिए थे उन लड़कों को दे दिए और वहां से रोते रोते चली गई। उसने सबक लिया कि आज के बाद वह गुस्सा करना छोड़ देगी। इससे बुढ़िया ने सीख ली कि गुस्सा करने से केवल नुकसान होता है। उन्होंने गुस्से को कम करने का निर्णय लिया और अब उनके गुस्से की बारीकी से संभाल रखते थे। उन्होंने समझ लिया कि हंसी और प्रेम के माध्यम से वे अपने आप को और अपने आसपास के लोगों को खुश रख सकती थीं। उसकी ज्यादा लालच और ज्यादा बोलने की वजह से उसने खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारी थी और अब उसने सभी सारा कुछ गंवा दिया। उसके पास अब पश्चाताप करने को भी कुछ नहीं बचा। अंत में वह खाली हाथ घर को लौट गई। इस कहानी को सुनकर नेहा के मां बाप ने बोला, महाराज, अब आप ही बताइए गुस्सा को आखिर कम कैसे किया जाए? आप जो बोलेंगे, हम निश्चय ही करेंगे। संत ने कहा, अब मैं तुम्हें जो बातें बताने जा रहा हूं, उसे तुम ध्यान से सुनो, क्योंकि यह बातें तुम्हारी जिंदगी बदलने वाली हैं। कम गुस्सा रखने के कई फायदे होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य संबंध और मानसिक स्थिति को सुधार सकते हैं। वन स्वास्थ्य सुधार। ज्यादा गुस्सा रखने से हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। गुस्से के कारण हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मानसिक तनाव और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यह सच है ज्यादा गुस्सा इंसान को बीमार बना देता है और ज्यादा गुस्सा करने से इंसान चिड़चिड़ा भी बन जाता है और एक गुस्से वाला इंसान हमेशा अंदर से बीमार ही रहता है। कम गुस्से से शारीरिक स्वास्थ्य सुधरता है। इसीलिए अगर तुम्हें स्वस्थ रहना है और इन सारी बीमारियों से बचना है तो तुम्हें कम गुस्सा करने की आदत डालनी चाहिए। दो। बेहतर संबंध अधिक गुस्से से आस पास के लोग हमसे दूर हो जाते हैं। कम गुस्सा रखने से हम अपने परिवार, दोस्त और समाज में अच्छे संबंध बना सकते हैं, क्योंकि गुस्से में हम हमेशा दूसरों की बेइज्जती करते हैं और हम प्यार भरे शब्द उन रिश्तों में नहीं बोल पाते जहां बोलना चाहिए। और जहां पर प्यार भरे शब्द नहीं वहां पर भला रिश्ता कैसे रहेगा। क्योंकि रिश्ते प्रेम के सहारे चलते हैं और जिन रिश्तों में प्रेम नहीं और जिन रिश्तों में तुम प्यार से बात नहीं करोगे, तुम प्यार से बोलोगे नहीं। वहां पर भला रिश्ते कैसे टिकेंगे। इसीलिए रिश्ते को संभालना है तो पहले प्यार से बोलना सीखो। लेकिन तुम प्यार से तभी बोलोगे जब तुम्हें कम गुस्सा आएगा। इसीलिए यह जरूरी है कि तुम कम गुस्सा करो। थ्री। बेहतर निर्णय। कहते हैं एक अशांत मन कभी भी सही फैसला नहीं ले सकता। इसलिए सही फैसला लेने के लिए मन का शांत होना जरूरी है। लेकिन मन तभी शांत होगा, जब तुम्हें गुस्सा कम आएगा। जब तुम्हें गुस्सा आएगा, तो मन हमेशा तुम्हारा अशांत रहेगा। फिर भला तुम्हीं बताओ, तुम सही फैसले कैसे ले सकते हो? और जब तुम सही फैसले नहीं लोगे तो भला वह जिंदगी का मतलब क्या है? तुम्हारा अस्तित्व ही क्या रह जाएगा? इसीलिए सही फैसले हमारे जिंदगी को बनाते हैं। गुस्से में हम अक्सर उचित निर्णय नहीं ले पाते हैं। कम गुस्सा रखने से हम ठीक से सोच सकते हैं और बेहतर निर्णय ले सकते हैं। चार मानसिक शांति जब हम गुस्से में होते हैं तो हमारी मानसिक स्थिति पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। कम गुस्सा रखने से हमारी चिंता कम होती है और हमें शांति का अनुभव होता है।
ज्यादा गुस्से में होने से हम अक्सर उच्च स्थितियों में नुकसान उठाते हैं। कम गुस्सा रखने से हम अपनी उच्च स्थिति और सम्मान बनाए रख सकते हैं। इन सभी फायदों से स्पष्ट है कि कम गुस्सा रखना हमारे जीवन को कई तरह से सुधार सकता है और हमें एक सकारात्मक और स्वस्थ दिशा में ले जा सकता है। इतना सब सुनने के बाद नेहा ने कहा, मुझे समझ में आ गया कि कम गुस्सा होने के कितने सारे फायदा हैं आप। अब कृपा करके आप मुझे यह बताइए कि गुस्सा को कम किया कैसे जाए?क्योंकि अभी के लिए यह सवाल जरूरी है। फिर महात्मा ने बोला, तो सुनो। उन्होंने कहा, अभ्यास, ध्यान और चुप रहना। अगर तुम तीनों चीजों को करोगे तो तुम निश्चय ही गुस्से पर विजय पा लोगे। जब भी तुम्हें लगे कि तुम गुस्सा करने वाले हो तो तुम बस दस सेकंड के लिए बोलने से पहले चुप रहो। अपने मन को यही बताओं और समझाओ कि तुम दस सेकंड तक कुछ नहीं बोलोगे। उसके बाद तुम वहां से हो सके तो चले जाओ। गुस्से में अगर तुम उस जगह को छोड़कर कहीं और चले जाते हो तो तुम निश्चय ही उस पर विजय पा लोगे और बिना कुछ बोले तुम वहां जीत जाओगे। और यह तभी होगा जब तुम ध्यान करोगे और जब तुम हर दिन इस बात का प्रयास करोगे। अगर तुम ऐसा कर पाते हो तो तुम्हारी विजय निश्चित है। फिर उस लड़की ने महात्मा का धन्यवाद कहा और वहां से चला गया। उसके जीवन सच में बदल गई। बाकी यह वीडियो आपको कैसी लगी आप हमें जरूर बताएं और किसी भी तरह का सवाल है तो आप वह भी हमसे पूछ सकते हैं। तब तक हम आपसे मिलते हैं ऐसे एक और मजेदार कहानी के साथ अगले दिन। धन्यवाद।